Swati Sharma

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लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -23)

हमारी शुभकामनाएं:-


बासन:-

             बासन का शाब्दिक अर्थ होता है 'बर्तन'। बासन हिंदू धर्म में होने वाली एक रीति होती है, जिसके अन्तर्गत वर या वधु पक्ष के परिवार वाले एवम उनके रिश्तेदार, मिलकर बाजे- गाजे के साथ कुम्हार के यहां जाते यहां जाते हैं और वहां से कुछ मटकियां सर पर रखकर लाते हैं। यह कार्य घर की स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
             कुम्हार के घर जाकर उन्हें एवम उनके परिवार को विवाह के लिए आमंत्रण पत्र देकर उन्हें आमंत्रित किया जाता है। फिर चाक पूजा की जाती है। चाक एक प्रकार का पहियानुमा गोला होता है, जिस पर मटकियां एवम दिए या कोई भी दूसरा मिट्टी का बर्तन या सामान बनाया जाता है। चाक पूजन के बाद वर पक्ष/वधु पक्ष की माताएं और बहिनें मटकियों (जितनी संख्या में उन्हें लानी होती है) की पूजा करती हैं अथवा कुम्हार और कुम्हारिन को कपड़े देते हैं तथा वहां से मटकी लेकर अपने - अपने सर पर मटकियां रखकर अपने -अपने घर बाजो- गाजो के साथ ही वापस आ जाते हैं।
                कई जगह गणेश पूजन के बाद और बासन से पहले माता पूजन का भी प्रावधान होता है। उस रीति में वर पक्ष और वधु पक्ष के लोग अपने - अपने घरों में पूजी जाने वाली माताजी को पूजने मंदिर में जाते हैं। यह प्रक्रिया भी बाजे- गाजे के साथ ही होती है।
                बासन लेकर आने के बाद घर की तथा मोहल्ले की महिलाएं एवम पुरुष बैंड बाजे की धुन पर या ढोल की धुन पर नाचते गाते हैं। इसमें अलग अलग प्रांतों के हिसाब से नृत्य होते हैं। राजस्थान में घूमर ज्यादा प्रचलित है। और भी तरह तरह के लोक नृत्य इस दौरान किए जाते हैं। सब लोग एक दूसरे को खींच खींच कर लाते हैं और नचाते हैं।
                 संध्या समय में या रात्री में लोक नृत्य और लोक गीत की भी प्रस्तुति होती है। सभी रात भर नाचते- गाते एवम धूम मचाते हैं। महिलाएं ढोलक बजा- बजा कर लोक गीत गाती हैं और बाकी महिलाएं उन लोक गीतों पर लोक नृत्य प्रस्तुत करते हुए थिरकती हैं।
                  भूमिका के ताऊजी की लड़की के विवाह में भूमिका ने खूब नाचा और सबको नचाया। दुल्हन को भी उसने इतना नचाया की सभी की दुलारी दुल्हन का नृत्य देखकर सभी दंग रह गए। बुआ, ताई, मां बहनें सभी के साथ उसने खूब रंग जमाया। सभी को खूब नचाया। ढोल की धुन तो भूमिका की मन पसंद धुन है, उसने ढोल पर इतना नाचा। सभी ने गोल घेरा बनाकर ढोल पर कभी भांगड़ा किया तो कभी गिद्दा और कभी घूमर नृत्य की तर्ज पर भी नृत्य किया। सब लोगों ने इतना नृत्य किया कि ढोल वाले की ढोल बजाने की लकड़ी ही टूट गई। तब जाकर ढोल वाले का उन लोगों ने पीछा छोड़ा।
                   संध्या काल के समय सभी बुआ, चाची, ताई, मां एवम बहनें  एक बड़े से स्थान पर गोल घेरा बनाकर बैठ गईं और एक महिला ढोलक बजाने लगी। सभी ने बारी- बारी लोक गीत गाए एवम नृत्य प्रस्तुत किया। जब एक महिला गीत गाती तो बाकी की महिलाएं भी उसका अनुसरण करती। सभी ने बन्ना बन्नी गाए, जो कि एक प्रकार का लोक गीत होता है। जिसमें बन्ना अर्थात् वर और बन्नी अर्थात् वधु पर गीत गाए जाते हैं, जो काफ़ी हद तक व्यंगात्मक होते हैं। सभी ने अकेले एवम साथ में भी नृत्य किया। अतः इस प्रकार देर रात तक खूब नाच गाकर सभी थक के चूर हो गए। इसी बीच कुछ ने जाकर भोजन भी गृहण कर लिया था। सभी अब थक कर सोने चले गए।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

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8 Comments

Supriya Pathak

09-Dec-2022 09:27 PM

Stellar 🙏💐

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Swati Sharma

10-Dec-2022 10:24 PM

Thanks ma'am 🙏🏻

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Bahut sunder 👌

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Swati Sharma

08-Dec-2022 04:34 PM

Thank you

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Palak chopra

15-Nov-2022 12:38 PM

Behtreen 🙏

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Swati Sharma

15-Nov-2022 12:40 PM

Thank you

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